राहु की तरह केतु भी एक छाया ग्रह है। केतु का रंग काला, धुएँ जैसा, कद लम्बा, कठोर वाणी व शरीर पतला है। यह राहु के समान ही पापी परन्तु मोक्ष का कारक है। केतु वृश्चिक राशि में उच्च व मिथुन राशि में नीच फल प्रदान करता है। यह सिंह राशि में मूल त्रिकोण व मीन राशि में स्वराशि का फल प्रदान करता है। केंतु स्त्री ग्रह, तमोगुणी, नैऋत्य दिशा का स्वामी, म्लेच्छ, रात्रि बली, ग्रह है। केतु, चन्द्र ग्रह के साथ मिलकर पूर्ण चन्द्र ग्रहण लगाता है व सूर्य के साथ मिलकर अर्द्ध सूर्य ग्रहण बनाता है।
केतु ग्रह ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसे राहु की तरह एक छाया ग्रह माना जाता है, जो आकाश में वास्तविक रूप से दिखाई नहीं देता। फिर भी, इसका प्रभाव हमारे जीवन में काफी गहरा होता है। आइए, जानते हैं केतु ग्रह के रहस्यों और इसके प्रभावों के बारे में।
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केतु ग्रह का स्वरूप और स्वभाव
केतु ग्रह का रंग काले धुएँ जैसा होता है, और इसकी कद-काठी लम्बी और दुबली होती है। केतु की वाणी कठोर होती है और इसे एक तामसिक ग्रह माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, केतु राहु के समान ही पापी ग्रह है, लेकिन इसके प्रभाव से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति भी हो सकती है।
केतु को स्त्री ग्रह के रूप में भी देखा जाता है और इसे नैऋत्य दिशा का स्वामी माना जाता है। यह ग्रह रात्रि के समय अधिक बलशाली होता है और इसका स्वभाव म्लेच्छ (अर्थात् असभ्य या अपरिचित) बताया गया है।
केतु का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष शास्त्र में, केतु ग्रह वृश्चिक राशि में उच्च फल प्रदान करता है और मिथुन राशि में नीच फल देता है। सिंह राशि में यह मूल त्रिकोण का फल देता है और मीन राशि में इसे स्वराशि का फलकारक माना जाता है। इसका अर्थ है कि केतु इन राशियों में रहते हुए व्यक्ति के जीवन पर विशेष प्रभाव डालता है।
केतु का प्रभाव जीवन में अप्रत्याशित घटनाओं, आध्यात्मिक जागरण, और मोक्ष की ओर ले जाता है। यह ग्रह जीवन में चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना कराता है, लेकिन साथ ही, आत्मिक उन्नति और आध्यात्मिक ज्ञान की ओर भी प्रेरित करता है।
ग्रहणों में केतु की भूमिका
केतु का संबंध ग्रहणों से भी होता है। जब चंद्र ग्रह के साथ केतु आता है, तो पूर्ण चंद्र ग्रहण बनता है। इसी तरह, जब यह सूर्य के साथ होता है, तो अर्द्ध सूर्य ग्रहण का निर्माण होता है। इस प्रकार केतु का प्रभाव ग्रहणों के दौरान भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
केतु ग्रह का आध्यात्मिक पहलू
केतु को मोक्ष का कारक ग्रह भी कहा जाता है। इसका अर्थ है कि इस ग्रह का प्रभाव व्यक्ति को जीवन की अंतिम अवस्था, अर्थात् मोक्ष की ओर ले जाता है। केतु व्यक्ति के भौतिक जीवन में उतार-चढ़ाव लाता है, लेकिन साथ ही, यह जीवन के आध्यात्मिक पक्ष को भी जागृत करता है।
इस प्रकार, केतु का प्रभाव व्यक्ति को उसकी आत्मा की सच्ची पहचान कराने में सहायक होता है। यह जीवन के माया-जाल से मुक्ति और आत्मिक शांति की प्राप्ति का रास्ता दिखाता है।
निष्कर्ष
केतु ग्रह का प्रभाव जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। यह न केवल चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना कराता है, बल्कि आत्मिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति में भी सहायक होता है। भारतीय ज्योतिष में केतु को छाया ग्रह के रूप में देखा जाता है, लेकिन इसका वास्तविक प्रभाव व्यक्ति के जीवन में गहरे अर्थ और उद्देश्य की ओर ले जाता है।
इसलिए, केतु ग्रह का अध्ययन और इसकी स्थिति का विश्लेषण जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने के लिए आवश्यक है। यह न केवल ज्योतिषियों के लिए बल्कि उन सभी के लिए महत्वपूर्ण है जो जीवन के आध्यात्मिक मार्ग को समझना और अपनाना चाहते हैं।