सूर्य ग्रह का महत्व
शास्त्रों के अनुसार सूर्य ग्रह को नवग्रहों में राजा की पदवी प्राप्त होती है। यह जातक में आत्मा का कारक होता है। ये क्रूर व क्रोधी ग्रह है। यह शहद के सामान आखों वाला, जिसका रंग लालिमा लिये है। सूर्य बुद्धिमान, अग्नि प्रकृति, लंबा, पित्त प्रधान, अल्प बालो वाला, अल्पभाषी, प्रतापी, विशाल भुजाओं वाला पुरुष ग्रह है। सूर्य की जाति क्षत्रिय है। ये सात्विक ग्रह है। इसका स्वाद कटु है. सूर्य का निवास, जंगल, पहाड़, गुफा व मंदिर में होता है। सूर्य दिवाबली, कृष्ण पक्ष में बली, ग्रीष्म ऋतु का स्वामी, दशम भाव में दिग्बली होता है। सूर्य सिंह राशि का स्वामी है तथा सिंह राशि में 0° - 20° तक मूल त्रिकोण में होता है। सूर्य के चन्द्र, मंगल व बृहस्पति मित्र होते हैं तथा शुक्र व शनि शत्रु व बुध ग्रह सम होते हैं। सूर्य मेष राशि में 10° पर परम उच्च व तुला राशि में 10° पर परम नीच होता है। यह कृतिका, उत्तराफाल्गुनी और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का स्वामी है। सूर्य की महादशा 6 साल की होती है। इसका रत्न माणिक्य होता है। सूर्य परिवार में पिता का स्वरूप होता है, राहु व केतु के साथ मिलकर ग्रहण व बुध के साथ मिलकर बुध-आदित्य योग का निर्माण करता है। जातक की कुंडली में बुध-आदित्य योग बनने पर सरकारी नौकरी/धन से लाभ प्राप्त होता है। सूर्य ग्रह के खराब होने पर जातक को मान-सम्मान में हानि, पिता को परेशानी, करियर में अस्थिरता व स्वास्थ्य संबंधी परेशानी बनी रहती है। सूर्य ग्रह ख़राब वाले जातक को अपने पिता की सेवा करने से लाभ होता है।
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सूर्य ग्रह की प्रकृति और गुण (सूर्य ग्रह के लक्षण)
- वर्ण और आकृति: शास्त्रों के अनुसार सूर्य ग्रह गोलाकार और पीले रंग का होता है।
- स्वभाव: सूर्य का स्वभाव अग्नि तत्व से प्रेरित है। यह उग्र और तेज प्रकृति का ग्रह है।
- प्रभाव: सूर्य से ऊर्जा, बल, प्रभुत्व और गरिमा का संचार होता है। यही कारण है कि इसे ग्रहों का राजा कहा जाता है।
- महत्व: सूर्य आत्मा, शरीर और मन को जीवंतता प्रदान करता है। इसके बिना सारा ब्रह्मांड अंधकार में लिपटा रहेगा।
सूर्य ग्रह के कार्य और लक्षण (सूर्य ग्रह के मुख्य कार्य)
- आत्मा का कारक: सूर्य आत्मा का कारक ग्रह है। यह जातक की अस्मिता, आत्मगौरव और आत्मविश्वास को दर्शाता है।
- शरीर और मन का नायक: सूर्य ऊर्जा प्रदान करके शरीर और मनको सक्रिय रखता है। इसकी दुर्बलता से शरीर और मन निस्तेज हो सकते हैं।
- लेख्य और राजयोग का दाता: सूर्य से लेख्य (लिखित योग्यता) और राजपद की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि इससे राजयोग भी बनते हैं।
- स्वामित्व और मित्रता: सूर्य का स्वामित्व मिथुन लग्न और रिष्य नक्षत्र पर है। चंद्रमा, बुध और गुरु इसके मित्र ग्रह हैं।
शुभ सूर्य की दशा से फलादेश:
- राजनीति और व्यवसाय में तरक्की और नेतृत्व शक्तियों का विकास होता है।
- जीवनशैली में सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है।
- सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्र में प्रतिष्ठा और मान-सम्मान मिलता है।
- आत्मविश्वास और उत्साह से भरपूर रहते हैं। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहता है।
प्रतिकूल सूर्य की दशा से फलादेश:
- अहंकार और अभिमान में बढ़ोतरी हो सकती है।
- व्यवसाय और राजनीति में अड़चनें और बाधाएं आती हैं।
- शरीर में विकार, गर्मी और ताप से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं।
- रिश्तों में कलह, तनाव और विवाद की स्थिति बन सकती है।
- अहंकारवश विपरीत निर्णय ले सकते हैं जिससे जीवन चक्र चौपट हो सकता है।
सूर्य और राशिफल (सूर्य ग्रह का महत्व राशिफल में)
ज्योतिष में राशिफल का भी बहुत महत्व होता है। इसके लिए ग्रहों की गति और स्थिति का विशेष ध्यान रखा जाता है। सूर्य की स्थिति और गति भी राशिफल को प्रभावित करती है।
- सूर्य जिस राशि में होगा, उस राशि में जन्मे व्यक्तियों पर सूर्य का सीधा प्रभाव पड़ेगा। इसलिए उस राशि वालों के राशिफल में सूर्य की स्थिति का विशेष उल्लेख किया जाता है।
- सूर्य राशि परिवर्तन करते समय उस नई राशि वालों पर सूर्य का प्रभाव पड़ना शुरू हो जाता है। इसलिए राशिफल भी उसी के अनुरूप दिया जाता है।
- महीने के शुरू में जब सूर्य किसी नई राशि में प्रवेश करता है तो उस माह के राशिफल उसी हिसाब से ज्योतिषियों द्वारा बनाए जाते हैं।
इसके अलावा सूर्य के शुभ या अशुभ होने के आधार पर भी राशिफल बदलता रहता है। शुभ सूर्य अच्छे परिणाम देता है जबकि अशुभ सूर्य से विपरीत फल मिलता है। इस तरह सूर्य की गणना राशिफल के लिए बेहद आवश्यक होती है।
उपसंहार
इस प्रकार हम देखते हैं कि सूर्य ग्रह सिर्फ ब्रह्मांड का नायक ही नहीं बल्कि ज्योतिष में भी बहुत ही विशिष्ट और महान स्थान रखता है। सूर्य की स्थिति और गति से न केवल व्यक्ति की कुंडली बल्कि राशिफल भी प्रभावित होते हैं। सूर्य और अन्य ग्रहों के संयोग से बनने वाले विभिन्न योग भी जातक के सुख-दुख, सफलता और विफलता को नियंत्रित करते हैं। अत: सूर्य के स्वरूप और महत्व को समझना बहुत जरूरी है।