जन्मकुडली में बुध जातक की बुद्धि का कारक होता है शास्त्रों के अनुसार बुध बुद्धि व वाणी का कारक है। ग्रहों के मंत्री-मंडल में इसका स्थान राजकुमार का है। बुध नपुंसक ग्रह है। पृथ्वी तत्त्व, वैश्य वर्ण व रजोगुण प्रधान ग्रह है तथा मधुरवाणी, सुन्दर देह युक्त, विनोदी स्वभाव, बुद्धिमानी का कारक है। बुध खटटा-मीठा स्वाद व हरे रंग का कारक है। बुध उत्तर दिशा का स्वामी, लग्न में दिग्बली, शरद ऋतु का स्वामी तथा पाप प्रभावित होने पर त्वचा के रोग देता है। बुध त्वचा का कारक है तथा पाप प्रभवित होने पर त्वचा के रोग देता है। बुध त्रिदोषों, वात, कफ व पित्त प्रकृति वाला ग्रह है तथा मिथुन व कन्या राशि का स्वामी है। बुध कन्या राशि में 15° पर परम उच्च व कन्या राशि में ही 15° से 20° तक मूल त्रिकोण राशि का फल प्रदान करता है। बुध कन्या राशि में 0° से 15° तथा 20° से 30 ° तक स्वराशि में रहता है। अश्लेषा, ज्योष्ठा व रेवती नक्षत्र का स्वामी है। बुध की महादशा 17 वर्ष की होती है। यह सूर्य व शुक्र को मित्र मानता है तथा चन्द्रमा को शत्रु मानता है। मंगल, गुरू, शनि को बुध सम मानता है। बुध का रत्न पन्ना है। यह सूर्य के साथ मिलकर सूर्य-बुध आदित्य योग बनाता है ।
बुध ग्रह का ज्योतिषीय महत्व अत्यधिक प्रभावशाली है। यह ग्रह जातक की बुद्धि, वाणी और त्वचा से संबंधित गुणों का कारक होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बुध को बुद्धि और वाणी का प्रधान माना जाता है। यह ग्रह पृथ्वी तत्व से संबंधित है, वैश्य वर्ण का प्रतिनिधित्व करता है, और इसका प्रभाव रजोगुण प्रधान होता है। बुध को ग्रहों के मंत्री मंडल में राजकुमार का स्थान प्राप्त है।
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बुध ग्रह का परिचय
बुध ग्रह नपुंसक ग्रह माना जाता है, और यह त्रिदोषों (वात, पित्त, और कफ) पर भी प्रभाव डालता है। इस ग्रह का संबंध बुद्धिमानी, सुन्दर देह, मधुरवाणी और विनोदी स्वभाव से होता है। इसके प्रभाव से जातक में खट्टा-मीठा स्वाद, हरे रंग की ओर आकर्षण और उत्तर दिशा में विशेष शक्ति होती है। बुध का सम्बन्ध त्वचा से भी होता है, और पाप ग्रहों के प्रभाव में आने पर यह त्वचा के रोगों का कारक बन सकता है।
बुध ग्रह की राशि और नक्षत्र
बुध ग्रह मिथुन और कन्या राशियों का स्वामी होता है। कन्या राशि में बुध 15° पर परम उच्च होता है, जबकि 15° से 20° तक यह मूल त्रिकोण राशि का फल प्रदान करता है। कन्या राशि में 0° से 15° और 20° से 30° तक बुध स्वराशि में रहता है। बुध अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्रों का स्वामी भी होता है।
बुध ग्रह के मित्र और शत्रु
बुध ग्रह के संबंधों की बात करें, तो यह सूर्य और शुक्र को अपना मित्र मानता है, जबकि चंद्रमा को शत्रु के रूप में देखता है। मंगल, गुरू, और शनि के साथ बुध का संबंध सम माना जाता है। बुध ग्रह की महादशा 17 वर्षों तक चलती है, जिसमें इसके प्रभाव और गुणों का फल मिलता है।
बुध ग्रह का रत्न और योग
बुध ग्रह का रत्न पन्ना माना जाता है, जो इसके प्रभाव को बढ़ाता है। सूर्य के साथ मिलकर बुध “सूर्य-बुध आदित्य योग” का निर्माण करता है, जो जातक के जीवन में विशेष लाभ और उन्नति प्रदान करता है।
निष्कर्ष
बुध ग्रह का महत्व और उसके प्रभाव जीवन में गहरे प्रभाव डाल सकते हैं। यह ग्रह बुद्धि, वाणी, त्वचा और जीवन के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं का प्रतिनिधित्व करता है। बुध के गुणों को समझना और उन्हें सही दिशा में उपयोग करना जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जा सकता है।