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चंद्रमा ग्रह: प्रकृति, स्वभाव व प्रभाव

चंद्र ग्रह प्रत्येक व्यक्ति का सबसे महत्वपूर्ण ग्रह होता है। जन्म कुंडली में चंद्रमा जातक की जिस राशि में होता है वह जातक की राशि कहलाती है। जिसे जन्म की राशि या चंद्र राशि कहते हैं। ये मन का कारक होता है इसलिए ये सबसे चंचल ग्रह माना जाता है। ये जिस राशि में होता है उसके सारे गुणों के साथ मिलकर अपना फल देता है। साथ ही इसके साथ जो भी ग्रह होते हैं जातक के जीवन में उनका असर भी दिखता है। आइए इसकी विस्तृत समझ प्राप्त करें।

चंद्रमा की प्रकृति और गुण

चंद्रमा एक चंचल ग्रह है जो स्थिर नहीं रहता। इसकी प्रकृति भावनात्मक, संवेदनशील और कोमल है। शास्त्रों के अनुरूप चंद्रमा का स्वरूप गोल, रंग गोरा है, नेत्र सुंदर, मुख पर आकर्षण और बाल काले हैं तथा चंद्रमा श्वेत वस्त्र धारण करता है। चंद्रमा युवा व प्रौढ़ दोनो है। चंद्रमा कफ और वात दोष युक्त है, ग्रहों के मंत्रमंडल में चंद्रमा को रानी की पदवी प्राप्त है।

अगर आपकी कुंडली में किसी भी तरह का दोष है, तो समाधान के लिए एस्ट्रोएक्सप्लोर से संपर्क करें।

चंद्रमा की केंद्रीय भूमिका

चंद्रमा स्त्री ग्रह, जलीय तत्व, वैश्य जाति का सात्विक ग्रह है। चन्द्रमा वायव्य दिशा का स्वामी है, चन्द्रमा शुक्ल पक्ष में बलि, रात्रिबली, चतुर्थ भाव में दिगबली होता है। चंद्रमा के सूर्य , बुध मित्र होते हैं तथा चंद्रमा किसी शत्रु को नहीं मानता व मंगल, गुरु, शुक्र, व शनि को सम मानता है। चन्द्रमा कर्क राशि, रोहिणी, हस्त, वा श्रवण नक्षत्रों का स्वामी है। चन्द्रमा को महादशा 10 वर्ष की होती है। चंद्रमा का रत्न सफेद मोती है। चंद्रमा परिवार में माता का स्वरूप होता है और धन का कारक भी होता है।

चंद्रमा के प्रभाव

इसकी अवस्था से जातक की माता का स्वास्थ्य और घर में धन की प्राप्ति होती है। खराब चंद्र से पढ़ाई में रुकावटें, माता के स्वास्थ्य में समस्याएं और घर में धन की कमी आती है। ऐसे में जातक को अपनी माता की सेवा करनी चाहिए।

इस प्रकार चंद्रमा अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रह है जो मनुष्य के मन, भावनाओं और अंतरंग पर प्रभाव डालता है। इसकी स्थिति और गुणों का विश्लेषण किया जाना आवश्यक होता है।

ये कुंडली मे शनि के साथ मिल कर विष दोष बनाता है, राहु व केतु के साथ मिल कर ग्रहण करता है, और गुरु के साथ मिल कर गज केसरी योग का भी निर्माण करता है।

अभी तक हम चंद्रमा की प्रकृति, गुणों और महत्व पर चर्चा कर चुके हैं। आइए अब इसके कुछ और महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तार से विचार करें:

चंद्रमा और मानसिक स्वास्थ्य

चूंकि चंद्रमा मन का कारक है, इसलिए यह व्यक्ति की मानसिक स्थिति और भावनात्मक संतुलन पर गहरा प्रभाव डालता है। अच्छी स्थिति में चंद्रमा मन को शांति और सुखद अनुभव प्रदान करता है। वहीं खराब चंद्रमा मानसिक विकारों जैसे अवसाद, चिंता और भयग्रस्तता की ओर ले जा सकता है। इसलिए मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों में चंद्रमा की स्थिति की जांच करना महत्वपूर्ण होता है।

चंद्रमा और वाणी

कुंडली में चंद्रमा की स्थिति से व्यक्ति की वाणी और भाषा कौशल पर भी प्रभाव पड़ता है। अच्छे चंद्र से व्यक्ति की वाणी मधुर और प्रवाह में होती है, जबकि खराब चंद्र से वाणी में दोष आ सकते हैं।

चंद्रमा और स्वभाव

चंद्रमा व्यक्ति के स्वभाव को भी प्रभावित करता है। शुभ चंद्र से व्यक्ति का स्वभाव मित्रवत्, कोमल और सौम्य होता है। वहीं दुर्बल चंद्र से व्यक्ति अस्थिर, आलसी और लापरवाह हो सकता है।

चंद्रमा और मातृत्व

चंद्रमा माता और मातृत्व का प्रतीक है। महिलाओं की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति से मातृत्व की इच्छा, गर्भधारण क्षमता और बच्चों के प्रति प्रेम-लगाव का पता चलता है।

चंद्रमा और खान-पान

चंद्रमा शरीर द्रव्यों और खान-पान से भी संबंधित है। शुभ चंद्र से व्यक्ति का स्वास्थ्य और पाचन तंत्र अच्छा रहता है, जबकि दुर्बल चंद्र से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

चंद्रमा और ग्रहण

चंद्रमा और राहु के अंतर्गत आने पर ग्रहण की स्थिति उत्पन्न होती है। ग्रहण की अवधि में चंद्रमा अनुकूल परिणाम नहीं देता है। इसलिए कई लोग महत्वपूर्ण कार्य इस अवधि में नहीं करते हैं।

इस प्रकार चंद्र ग्रह विभिन्न स्तरों पर मानव जीवन को प्रभावित करता है। यही वजह है कि इसे सबसे महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है। इसकी स्थिति का विश्लेषण व्यक्तिगत जीवन की अच्छी समझ प्राप्त करने में सहायक होता है।

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